किया जाता है, जिसमें तीन चरण होते हैं। परीक्षण के लिए, इन तीन चरणों में पहले की तुलना में अधिक संख्या में लोग शामिल होते हैं। इन तीन चरणों (step) का परीक्षण करने के बाद, कंपनी सभी परिणामों को FDA या TPD को सौंप देती है, जिसके आधार पर NDA (न्यू ड्रग अप्रूवल) प्राप्त होता है। एनडीए के अधिग्रहण के बाद, कंपनी उस दवा का विपणन कर सकती है। एक नई दवा लॉन्च करने की तैयारी करते समय, लोगों के लिए दवा कितनी सुरक्षित और प्रभावी है, इसके लिए एक नैदानिक परीक्षण है।
लायक (eligibility):-
नैदानिक अनुसंधान के एक कोर्स में प्रवेश के लिए बैचलर ऑफ साइंस आवश्यक है। इसके अलावा डी फार्मा (D.pharm), बी फार्मा (b.pharm), एम फार्मा (M.pharm), BSC degree, m.s.c, चिकित्सा, जीवन विज्ञान और जीव विज्ञान आदि के छात्र भी इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। कई प्रतिष्ठित संस्थानों से क्लिनिकल रिसर्च, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा आदि में डिप्लोमा किया जा सकता है।
पाठ्यक्रम:-
India में नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं हैं। यह उन छात्रों के लिए एक आकर्षक कैरियर (career) विकल्प है जो इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। भारत में कई संस्थान नैदानिक अनुसंधान से संबंधित पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। क्लिनिकल रिसर्च के तहत आप क्लिनिकल रिसर्च में एडवांस्ड प्रोग्राम, डिप्लोमा इन क्लिनिकल रिसर्च, बीएससी इन क्लिनिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी, बीएससी इन क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी (microbiology), सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन क्लिनिकल रिसर्च, इंटीग्रेटेड पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लीनिकल रिसर्च, एमएससी इन क्लीनिक माइक्रोबायोलॉजी, पीएचडी इन कर सकते हैं। क्लीनिकल रिसर्च वन क्लीनिकल रिसर्च में क्लिनिकल कोर्स, क्लिनिकल रिसर्च में डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम, क्लीनिकल रिसर्च में प्रोफेशनल डिप्लोमा और क्लीनिकल रिसर्च में बैचलर डिग्री (bachelor degree) आदि कोर्स कर सकते हैं।
रोजगार की संभावनाएं:-
प्रतिभाशाली लोगों के एक बड़े पूल और रोगियों की बढ़ती संख्या के कारण भारत में नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक पद रिक्त हैं। योजना आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में लगभग 30 से 50 हजार पेशेवरों की कमी है। नैदानिक पेशेवरों की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर के कारण, भारत में कई प्रशिक्षण संस्थान शुरू किए गए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि प्रशिक्षित कर्मियों और प्रशिक्षण संस्थानों की भारी कमी है। अंतरराष्ट्रीय (international) स्तर पर, इस उद्योग को बहुत अच्छा वेतन मिलता है, जो 40 हजार डॉलर से लेकर एक लाख डॉलर सालाना तक होता है। भारत में प्रारंभिक वार्षिक वेतन 1.8 लाख से 5 लाख रुपये तक है।
वेतन (salary):-
आजकल नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की मांग में भी वृद्धि हुई है। नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक फ्रेशर का वेतनमान प्रति माह 25000 या उससे अधिक हो सकता है। यदि आपके पास मास्टर डिग्री (master degree) है, तो वेतनमान दोगुना हो जाता है। निजी कंपनियों के मामलों में अनुभव और इस आधार पर आप आकर्षक salary प्राप्त कर सकते हैं।