नमस्कार दोस्तों
इंडियन एजुकेशन सिस्टम को लेकर हमारा सिस्टम इतना खराब है क्या हम इसमें बदलाव ला सकते हैं क्या हमें डेवलप्ड कंट्रीज 16 पॉइंट्स में बार-बार दोहराते रहो इन सारे वीडियोस मुझे बड़ी खुशी हो रही है आप लोगों को बताते हुए कि हमारी सरकार जो नई एजुकेशन की पॉलिसी लेकर आई है उन्होंने अपनी नई पॉलिसी में ऑलमोस्ट सारे मैजिस्ट्रेट इसमें के पॉइंट को एड्रेस कर लिया है और यह रिवॉल्यूशनरी चेंज लाए हैं हमारे इंडियन एजुकेशन सिस्टम पॉजिटिव change लाए हैं
सबसे पहला और सबसे बड़ा problem मेरा यह था कि हमारे सिस्टम क्लास 10th के बाद student को तीन कैटेगरी में फिट करने की कोशिश करता है साइंस, कॉमर्स, humanity
यह बड़ा प्रॉब्लम है एक स्ट्रीम में एडमिशन ले लेते है तो दूसरी स्ट्रीम के सब्जेक्ट नहीं पढ़ सकते थे। स्टूडेंट साइंस स्ट्रीम लेकर साइंस सिलेबस ऑल सब्जेक्ट पढ़ नहीं सकता था।
लेकिन अब सरकार ने इस चीज को बदल दिया दोस्तों स्टूडेंट के पास और ज्यादा फ्लैक्सिबिलिटी साथ सब्जेक्ट को चूस करने हैं यानी आज अब अब इस पॉलिसी के इंप्लीमेंट होने के बाद एक स्टूडेंट फिजिक्स के साथ पॉलिटिकल साइंस की पढ़ सकता है केमिस्ट्री के साथ हिस्ट्री भी पढ़ सकता है साइंस के सब्जेक्ट भी पढ़ सकता है कॉमर्स के सब्जेक्ट के पड़ सकता है आर्ट्स के सब्जेक्ट ही पढ़ सकता है बहुत ही बढ़िया चीज करी अम तौर पर
इतनी ज्यादा फ्लैक्सिबिलिटी आएगी चूस करने केलिए।
दूसरा बड़ा चेंज हो सरकार लाई है इन्होंने हमारे पहले वाला सिस्टम 10 + 2 के मिक्सचर को बदलकर 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 सिस्टम में बदल दिया है। अभी ज्यादा सीनियर हो गया है वेस्टर्न डेवलप्ड कंट्रीज के एजुकेशन सिस्टम के कंपैरिजन में 10 प्लस 2 सिस्टम में एजुकेशन शुरू होती थी 6 साल की age से और इस नए सिस्टम में अब 3 साल की एजुकेशन शुरू हो गई और 3 की age से लेकर स्कूल होगा उसके बाद 2 साल के लिए क्लास 1st उसके बाद 3 साल की प्रैक्टिस स्टेज हो गई अस्के बाद तेज होगी जिसमें फोकस किया जाएगा प्लेइंग डिस्कवरी और एक्टिविटी बेस्ड क्लासरूम लर्निंग पर उसके बाद क्लास 6th क्लास to 8th क्लास जो होगी उसे मिडिल स्टेज कहा जाएगा जिस पर फोकस किया जाएगा एक्सपीरियंशियल लर्निंग पर साइंस मैथमेटिक्स अर्ट, सोशल साइंस और उसके बाद सेकेंडरी से जाएगी क्लास 9th to 12th में फोकस किया जाएगा मल्टीडिसीप्लिनरी पर फ्लैक्सिबिलिटी और ज्यादा चॉइस दी जाएंगी स्टूडेंट्स को
जैसे कि
चैलेंज कोई जवाब दोगे या फिर जो है इस तरीके से सुपर मार्केट में काम करना या फिर ड्राइविंग का काम जो कुछ भी इस टाइप की जॉब है। इस तरह की जोब जो मतलब इंजीनियर साइड में या से वही मतलब यूनिवर्सिटी साइड में नहीं आती तो कुछ भी एक्स्ट्रा साइड में उनकी काफी हद तक एक बहुत बड़ा फर्क है कि इंडिया में हम इन सारी जॉब तो काफी लो लेवल पर देखते हैं हमने ऐसा देखते की नीचेले लेवल के लोग ऐसा काम करते हैं जो हमारे तो पढ़े लिखे लोग ऐसा लो लेवल का जोब नहीं करते
लेकिन फर्क है कि जर्मनी में ऐसे लोगो को रिस्पेक्ट मिलती है ब्लॉग कंटेंस में वोकेशनल ट्रेनिंग को बहुत इंपोर्टेंट दी जाती है यह जॉब केलिए इलेक्ट्रिशियन, कार्पेंट्री, प्लंबिंग उसको उसी लेवल पर देखा जाता है लेकिन हमारे देश इंडिया में इन जॉब को निचले लेवल पर देखा जाता है।
चैलेंज कोई जवाब दोगे या फिर जो है इस तरीके से सुपर मार्केट में काम करना या फिर ड्राइविंग का काम जो कुछ भी इस टाइप की जॉब है। इस तरह की जोब जो मतलब इंजीनियर साइड में या से वही मतलब यूनिवर्सिटी साइड में नहीं आती तो कुछ भी एक्स्ट्रा साइड में उनकी काफी हद तक एक बहुत बड़ा फर्क है कि इंडिया में हम इन सारी जॉब तो काफी लो लेवल पर देखते हैं हमने ऐसा देखते की नीचेले लेवल के लोग ऐसा काम करते हैं जो हमारे तो पढ़े लिखे लोग ऐसा लो लेवल का जोब नहीं करते
लेकिन फर्क है कि जर्मनी में ऐसे लोगो को रिस्पेक्ट मिलती है ब्लॉग कंटेंस में वोकेशनल ट्रेनिंग को बहुत इंपोर्टेंट दी जाती है यह जॉब केलिए इलेक्ट्रिशियन, कार्पेंट्री, प्लंबिंग उसको उसी लेवल पर देखा जाता है लेकिन हमारे देश इंडिया में इन जॉब को निचले लेवल पर देखा जाता है।
ऐसा माइंडसेट है जो में बदलना पड़ेगा और सरकार ने इस माइंड सेट को को बदलने के लिए कुछ ऐसे स्ट्रक्चरल चेंजेज एग्रीमेंट किया है जो बहुत अच्छी है।
क्लास 6th से ही इंटर्नशिप कराई जाएंगी स्टूडेंट्स को
बच्चे बेग लेकर स्कूल नहीं जाएंगे बल्कि इन जॉब्स को एक्सपीरियंस करेंगे कार्पेंट्री गार्डनिंग वेल्डिंग जैसी जॉब और बाद में भी वोकेशनल ट्रेनिंग पर फोकस किया जाएगा स्कूल में बहोत हो क्रिटिकल चीज के हम उसके बिना डेवलप कंट्री नहीं बन सकते
सरकार ने यह पर एक सही दिशा में एक्शन लिया है ऐसे ही बच्चों को कोडिंग में सिखाई जाएगी और क्लास इलेवेंथ ट्वेल्थ बोर्ड एग्जाम इंपोर्टेंट को कम किया जाएगा एक और बहुत ही इंटरेस्टिंग और पॉजिटिव पॉलिसी चेंज जो रिपोर्ट कार्ड होते हैं जो साल के अंत में मिलते हैं जो प्रोग्रेस रिपोर्ट होती है अभी तक क्या होता है कि टीचर असेसमेंट करके बताती हैं कि टीचर के हिसाब से एक ऐसी परफॉर्म करिए साल भर एसेसमेंट करेंगी बल्कि स्टूडेंट्स अपने आपको खुद सेल्फी वैल्युएट करके बताएंगे कि स्टूडेंट खुद के पर्सपेक्टिव में उन्हें कैसा लगता है उन्होंने साल भर में कैसी परफॉर्मेंस की है
ना कि सेल्फी वैल्यू बल्कि की स्टूडेंट के बाकी क्लासमेंट की वैल्यू ऐड करके बताएंगे कि बाकी क्लासमेट के पर्सपेक्टिव से भी बताएंगे की स्टूडेंट ने किसी परफॉर्म कियी है।
यह बहुत ही बहुत ही अच्छे दोस्तों की क्रिटिकल थिंकिंग one ऑफ the मोस्ट एक्सपेक्ट होता है अब खुद से अपने आप को ही वैल्युएट करो खुद से सोचो कि आप क्या कर रहे हो यहां पर क्रिटिकली एनालाइज करो खुद के डिसीजन करो और वैसे भी आने वाले लाइफ में मतलब स्कूल में तो टीचर आपको बताती हैं कि आप कैसा कर रहे हो पेरेंट्स आपको बताते हैं आप कैसा परफॉर्म कर रहे हो लेकिन जब आपका स्कूल खत्म हो जाता है कॉलेज खत्म हो जाता है उसके बाद की लाइफ में कोई आपको बताने वाला नहीं होता कि आपकी परफॉर्मेंस कैसी चल रही है आपको खुद ही से ही वैल्यू करना पड़ता है कि आप कैसा परफॉर्म कर रहे हो लाइफ में और क्या करना चाहते हो आप आगे लाइन इसलिए दोस्तों यह जो थिंकिंग है यह पहले से ही इंपार्ट करी जाए स्टूडेंट्स में अपने आप को सेल्फ वैल्यू ऐड करो और बाकी परफेक्ट इसको देखो कि बाकी लोग क्या सोचते हैं आपके बारे में उनके हिसाब से आप ही वैल्यूएशन कैसी है बहुत यूज़फुल है और बहुत बड़ा change बार बार में कहते हैं उनकी सरकार को और पैसे खर्च करने चाहिए एजुकेशन पर और पैसे खर्च करने चाहिए अब मानो सरकार ने फाइनली सुन ली सरकार ने डिसाइड की है
दोस्तों की 6% पर जीडीपी अब एजुकेशन पेश किया जाएगा जो आज के दिन में तीन पर्सेंट डाउन चल रहा है बहुत कम है और ज्यादा डेवलप्ड कंट्रीज और बाकी डेवलपिंग कंट्री से लेकर आप कंपेयर करो तो इंडिया काफी कम पैसे खर्च करता है एजुकेशन पर 6% ऑफ जीडीपी बहुत अच्छा टारगेट है
कितनी जल्दी सरकार इस चीज को इंप्लीमेंट कर पाती है लेकिन इस 6% को टारगेट बनाना
लेकिन एक ओर बहुत बड़ी प्रॉब्लम है कि एग्ज़म में से jada मेमोरीज करने की जरूरत पड़ती है चीजों को हम कुछ कुछ महीनों बाद भूल जाते हैं कि हमने बस रट्टा मार के एग्जाम दिए हैं तो सरकार ने यह भी कहा है कि वह इस चीज को बदलने की कोशिश करेगी जो एग्जाम होंगे वैसे डिजाइन होंगे जिनमें ज्यादा मेमोराइजेशन की जरूरत ना पड़े ज्यादा रोक लगाने की जरूरत ना पड़े
क्लास ट्वेल्थ के बाद की एजुकेशन की बात करें तो मल्टीपल एंट्री एग्जिट प्रोग्राम लाया गया है सीधा सीधा मतलब यह है कि आपने अपनी कोई डिग्री चालू करें और मानव बीटेक की डिग्री आपने शुरू करें और 1 साल बाद आप रियालिस करते हो कि मुझे पसंद नहीं आ रहा मुझे और नहीं पढ़ना है तो बीच में से ही ड्रॉपआउट कर सकते हो और 1 साल तक जितनी आपने पढ़ाई करिए जो सब्जेक्ट पढ़े आपने उनके क्रेडिट आप ले सकते हो और दूसरी डिग्री में ट्रांसफर कर सकते हैं
बहुत ही यूजफुल है यह कैसी चीज है जाकर डेवलप्ड कंट्री में आलरेडी एक्सेट करती है तो बहुत अच्छी चीज है कि अब इंडिया में भी ऑप्शन अवेलेबल होगा
ऑप्शन तो यह बना दिया गया है कि मालू 4 साल की डिग्री है अब 1 साल के बाद ड्रॉपआउट करते हो तो आपको सर्टिफिकेट मिलेगा दूसरे साल के बाद ड्रॉपआउट करते हो तो आपको डिप्लोमा मिलेगा तीसरे साल के बाद आपको बैचलर्स डिग्री मिलेगी और चौथे साल के बाद भारतीय रिसर्चर डिग्री मिलेगी एमएससी कोर्स होते हैं वह एक ही साल के अपने पहले इसमें 4 साल की डिग्री 2 साल के 3 साल की डिग्री की है
साथ ही साथ टॉप 50 कॉलेजेस को परमिशन ले ली गई है कि वह इंडिया में भी अपने कैंपस से सेटअप कर सकते हैं इंटरेस्टिंग यह है कि एक ऐसी पॉलिसी है जो कांग्रेस लाना चाहती थी अपने टाइम में लेकिन बीजेपी खुद ही ला रही है
वोकेशनल एजुकेशन पर करते हुए सरकार ने कहा है कि अगले 10 सालों में इस तरीके से सारे स्कूल और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस में नहीं किया जा रहा है ऐसा किया जा रहा है कि 2025 तक 50% झुलस होंगे स्कूल और हायर एजुकेशन सिस्टम में उन्हें भोजन मिलेगा वोकेशनल एजुकेशन का
टीचर के लिए कहा गया कि एक प्रोफेशनल स्टैंडर्ड बनाया जाएगा टीचर के लिए 2020 तक और मिनिमम क्वालीफिकेशन रिक्वायर्ड टीचर बनने के लिए 4 साल की डिग्री को मान्यता दी जाए गी
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